कोलकाता: पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद महिला कैदियों के गर्भवती होने का मामला प्रकाश में आया है। इस संबंध में एक जनहित याचिका गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर की गई। याचिका में कोर्ट को बताया गया कि राज्य के जेलों में बंद महिला कैदी हिरासत के दौरान गर्भवती हो रही हैं। 196 बच्चे इन जेलों में पैदा हुए हैं। वे हिरासत में रह रहे हैं। जनहित याचिका में कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि सुधार गृहों के पुरुष कर्मचारियों को उन बाड़ों में काम पर रखने पर रोक लगाई जाए जहां महिला कैदियों को रखा जाता है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि “मुद्दा गंभीर है”।
महिला कैदियों के बाड़ों में पुरुष कर्मचारियों को जाने से रोका जाए
कोर्ट में पेश हुए एक न्याय मित्र ने सुझाव दिया कि सुधार गृहों के पुरुष कर्मचारियों को महिला कैदियों वाले बाड़ों में प्रवेश करने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने दर्ज किया कि वकील ने 25 जनवरी के एक नोट में अन्य सुझाव भी दिए हैं।
पीठ ने मामले को अपनी सूची से बाहर करते हुए अपने आदेश में कहा, “इन सभी मामलों पर प्रभावी फैसला लेने के लिए, हम इसे उचित मानते हैं कि मामले को आपराधिक रोस्टर निर्धारण वाली डिवीजन बेंच के सामने रखा जाना चाहिए।”
न्याय मित्र ने कोर्ट से यह भी कहा कि उन्होंने एक सुधार गृह का दौरा किया था। उन्होंने एक महिला को गर्भवती पाया था। जेल में पैदा हुए 15 बच्चे भी उस सुधार गृह में थे।