माना जाता है कि कई किन्नरों के पास आध्यात्मिक शक्ति होती है, जिससे उन्हें मौत का आभास हो जाता है। मौत होने वाली है, ये जानने के बाद किन्नर कहीं आना-जाना और यहां तक कि खाना भी बंद कर देते हैं। इस दौरान वे सिर्फ पानी पीते हैं और ईश्वर से अपने और दूसरे किन्नरों के लिए दुआ करते हैं कि अगले जन्म में वे किन्नर न बनें। आसपास और दूरदराज के किन्नर मरते हुए किन्नर की दुआ लेने आते हैं। किन्नरों में मान्यता है कि मरणासन्न किन्नर की दुआ काफी असरदार होती है।
किन्नर समुदाय के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति को मरणासन्न किन्नर या किन्नर की मौत की खबर बिल्कुल न हो, ये एहतियात बरती जाती है। शव को जहां दफनाया जा रहा हो, वहां अधिकारियों को भी इस बारे में पहले ही बता दिया जाता है कि जानकारी गुप्त रहे।
शवयात्रा के दौरान शव को चार कंधों पर लिटाए हुए ले जाने की परंपरा से अलग किन्नरों में शव को खड़ा करके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि आम लोग अगर मृत किन्नर का शरीर देख भी लें तो मृतक को दोबारा किन्नर का ही जन्म मिलता है।
किन्नर खुद अपने जीवन को इतना अभिशप्त मानते हैं कि शव यात्रा से पहले मृतक को जूते-चप्पलों से पीटा और गालियां दी जाती हैं ताकि मृत किन्नर ने जीते-जी कोई अपराध किया हो तो उसका प्रायश्चित हो जाए और अगला जन्म आम इंसान का मिले। अपने समुदाय में एक भी किन्नर की मौत के बाद पूरा का पूरा वयस्क किन्नर समुदाय पूरे एक सप्ताह तक व्रत करता है और मृतक के लिए दुआएं मांगता है।
किन्नरों में शव को जलाने की बजाए दफनाया जाता है। अंतिम संस्कार गुप्त तरीके से और सादे ढंग से होता है। शव को सफेद कपड़े में लपेट दिया जाता है, ये प्रतीक है कि मृतक का अब इस शरीर और इस दुनिया से सारा नाता टूट चुका है। मुंह में किसी पवित्र नदी का पानी डालने का भी रिवाज है, इसके बाद उसे दफन किया जाता है।
मृतक का अंतिम संस्कार समुदाय से बाहर का कोई इंसान न देख सके, इसके लिए किन्नर सारे जतन करते हैं, यही वजह है कि देर रात में ही अंतिम संस्कार किया जाता है। अगर उन्हें भनक भी लग जाए कि बाहरी व्यक्ति अंतिम संस्कार देख रहा है तो ये उस ‘दर्शक’ के लिए खतरनाक हो सकता है।
वैसे शोध ये कहते हैं कि किन्नर ज्यादा जीते हैं। शोधकर्ताओं ने कोरियाई प्रायद्वीप में सैंकड़ों सालों से रहने वाले किन्नरों के जीवन से जुड़े घरेलू दस्तावेज़ों का अध्ययन किया। इससे ये नतीजा निकला कि बधियाकरण के कारण किन्नर ज़्यादा दिनों तक ज़िंदा रहते हैं। इस शोध ने ये भी बताया कि दूसरे लोगों की तुलना में किन्नर करीब 20 साल ज़्यादा जीवित रहते हैं। आप हैरान होंगे लेकिन ये वैज्ञानिक तथ्य है कि पुरुषों का हार्मोन उनकी उम्र को कम कर देता है।