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दिल्ली। रामलला की मूर्ति की तस्वीर सामने आ गई। वह बाल स्वरूप में दिख रहे हैं। इस तस्वीर को देखकर सबसे मन में यह सवाल आया कि रामलला की मूर्ति को काले रंग या श्यामल का क्यों रखा गया।
आखिर काली क्यों है रामलला की मूर्ति
रामलला की मूर्ति को शिला पत्थर से बनाया गया है, जिसको कृष्ण शिला के नाम से भी जाना जाता है। यही कारण है कि रामलला की मूर्ति काले रंग की है, जिसे हम श्यामल भी कहते हैं। शिला पत्थर के अंदर कई तरह के गुण हैं।
रामलला की मूर्ति में उपयोग हुए पत्थर की खासियत
रामलला की मूर्ति को इस पत्थर ही आखिर क्यों बनाया गया। इस सवाल का जवाब इस पत्थर के गुणों में छुपा हुआ है। दरअसल, रामलला की पूजा के समय उनका दूध से अभिषेक होगा। अब इस पत्थर के गुण की वजह से दूध में किसी भी तरह का बदलाव नहीं होगा। इस दूध को पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होगा। इस पत्थर का हजार साल तक कुछ भी बिगड़ता है। इसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं आता है।
वाल्मीकि रामायण में श्याम वर्ण का वर्णन
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वाल्मीकि जी ने अपनी रामायण में भगवान राम का जिक्र श्याम वर्ण में ही किया है। यह भी बड़ी वजह थी कि उनकी मूर्ति को श्यामल में ही बनाया गया है। रामलला का श्यामल रूप में ही पूजा जाता है।
भगवान श्रीराम की मूर्ति की चंपत राय ने दी जानकारी
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि भगवान श्री रामलला की मूर्ति पांच वर्ष के बालक के स्वरूप में बनाई गई है। मूर्ति की लंबाई 51 इंच की है। इस मूर्ति को काले पत्थर से बनाया गया है। इस मूर्ति में भगवान के कई अवतारों को दिखाया है।