दक्षिण भारत के पश्चिमी तट उडुपी में स्थित है श्री कृष्ण मठ. इसके अलावा इस क्षेत्र को मंदिरों की भूमि या परशुराम क्षेत्र भी कहा जाता है. यहां पर प्राचीन चंद्रमौलीश्वर और अनंतेश्वर मंदिर स्थित हैं.
उडुपी भक्तों का खुली बांहों से स्वागत करता है. इस मंदिर के बारे में यह कहानी प्रचलित है कि श्रद्धालुओं को मंदिर के फर्श पर खाना परोसा जाता है. वजह भी चौंकाने वाला है. ऐसी मान्यता है कि श्रद्धालु खुद फर्श पर प्रसाद परोसने की मांग करते हैं. कहा जाता है कि जिन भक्तों की मनाेकामना पूरी हो जाती है वे मंदिर के फर्श पर प्रसाद खाते हैं. इस प्रसाद को प्रसादम या नौवैद्यम कहा जाता है. इस मंदिर के फर्श को मशहूर काले काड्डपा स्टोन (Black Kadappa Stone) से बनाया गया है. इस मंदिर की एक खासियत है कि इसके चारों ओर 8 मठ स्थित हैं. ये चक्रीय क्रम में बारी-बारी से मंदिर की देखभाल करते हैं. पहले प्रत्येक मठ मंदिर की 2 महीने तक देखभाल करते थे. लेकिन बाद में स्वामी वदिराज ने इस नियम को संशोधित कर इसे दो साल के लिए कर दिया. इन मंदिरों में प्रवेश से पूजा करने के कई नियम हैं.
अभी हाल में श्री कृष्ण मठ के अधिकारियों नें मंदिर में आने वाले पुरुष और महिलाओं के लिए नए नियम लेकर आए हैं. महिलाएं साड़ी या सलवार कमीज पहनकर ही प्रवेश कर सकती हैं. पुरुषों को धोती और अंगवस्त्रम (कंधे का कपड़ा) पहनना होता है.मंदिर के प्रवेश द्वार से पहले, आपको एक विशाल गोपुरम वाली एक खिड़की दिखाई देगी, जो वास्तुकला की द्रविड़ शैली में निर्मित है. इस खिड़की से आप सीधे भगवान के दर्शन कर सकते हैं. किंवदंती है कि श्री कृष्ण के सच्चे भक्त कनकदास ने इस मंदिर का दौरा किया था और लेकिन उन्हें पूजा करने की अनुमति नहीं दी गई थी (इसके कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं). उन्होंने श्रीकृष्ण से प्रार्थना की और देवता उनकी ओर मुड़ गए. आज भी लोग सबसे पहले खिड़की से भगवान के दर्शन करते हैं और उसके बाद ही आगे बढ़ते हैं. यह कहानी न तो ग्रंथों द्वारा और न ही पारंपरिक साधकों द्वारा प्रमाणित है.