
भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जिनमें अद्भुत शक्तियां हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही चमत्कारी मंदिर के बारे में बताते हैं। यह मंदिर वर्षों से बारिश की भविष्यवाणी के लिए प्रसिद्ध है। लोगों का मानना है कि यह मंदिर वर्ष के दौरान मानसून कैसा रहेगा और कितनी बारिश होगी, इसके बारे में बहुत स्टीक भविष्यवाणी करता है। यही कारण है कि इस मंदिर को मोसमा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर कानपुर के घाटमपुर में स्थित है।
जगन्नाथ मंदिर 4000 साल पुराना है और मानसून के बारे में भविष्यवाणी यहीं की जाती है। यह एकमात्र स्थान है जहां मंदिर न कि मौसम विभाग मानसून की भविष्यवाणी करता है। इस मंदिर के गुंबद से गिरता पानी बताता है कि साल भर मानसून कैसा रहेगा।
मानसून की भविष्यवाणी कैसे की जाती है?
मानसून के दस से पंद्रह दिन पहले मंदिर के गुंबद पर पानी की बूंदे अधिक हों तो वर्षा शुभ होती है। अगर मंदिर का गुंबद पूरी तरह से सूखा रहता है तो इसका मतलब है कि इस साल बारिश अच्छी नहीं होगी। पानी कम होगा तो बारिश भी कम होगी। वर्षों से यहां मानसून की भविष्यवाणी इसी तरह की जाती है।
जगन्नाथ मंदिर में इस चमत्कार के दिखने का इंतजार कानपुर ही नहीं बल्कि आसपास के ग्रामीण इलाकों को भी है। खास बात यह है कि हर साल मंदिर से जो संकेत मिलता है वह आज तक कभी गलत साबित नहीं हुआ। यानी मंदिर के संकेत के मुताबिक ही मानसून रहता है।
भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षित स्मारकों में से एक यह मंदिर देश के वैज्ञानिकों के लिए भी एक रहस्य है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि जब पानी की एक बूंद से भगवान के ऊपर का गुंबद दिखाई देता है तो समझ जाता है कि बारिश अच्छी होगी। लेकिन अगर यह गुंबद सूखा है तो साल भर बारिश भी कम होती है। इस मंदिर पर वैज्ञानिकों ने शोध भी किया है।
कानपुर के जगन्नाथ मंदिर का इतिहास
मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसे कई बार तोड़ा और फिर से बनाया गया है। भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार मंदिर के पत्थर की कार्बन डेटिंग से पता चला है कि यह मंदिर 4000 साल से भी ज्यादा पुराना है। भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर तीन भागों में बना है। जिसमें गर्भगृह का एक छोटा सा हिस्सा है। इसके साथ एक बड़ा हिस्सा है। इन तीनों भागों की रचना अलग-अलग समय पर हुई है। मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है।
पद्मनाभ के पैरों के निशान भी मंदिर के अंदर स्थित हैं। मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस मंदिर के इतिहास को लेकर कई मतभेद हैं प्राचीन काल में अलग-अलग राजाओं ने इस मंदिर को दान दिया था। इस मंदिर के गुंबद में एक सूर्य चक्र है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस चक्र के कारण इस क्षेत्र में कभी भी बिजली गिरने का अनुभव नहीं हुआ है।