दिल्ली। पुरूष नागा साधुओं के बारे में सुना और देखा होगा। लेकिन आपको बता दें कि पुरूष ही नहीं बल्कि महिला नागा साधु भी होती है। महिला नागा साधु दुर्लभ दिखाई देती हैं, जिसके पीछे के कई कारण हैं।इसी वजह से कई लोगों को यह पता भी नहीं होता महिला नागा साधु भी होती हैं। सनातन धर्म में साधु-संतों की नागा साधु वाली शाखा को अघोरी भी कहा जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि महिला नागा साधु कैसे बनती हैं, क्या उनकी वेशभूषा होती है, कैसी होती है उनकी दुनिया और कब देती हैं दर्शन।
ये होती हैं महिला नागा साधु
सनातन धर्म में जिस तरह पुरुष नागा साधु होते हैं ठीक वैसे ही महिला नागा साधु भी होती हैं। महिलाओं को महिला नागा साधु बनने के लिए काफी कड़ा तप करना होता है। उन्हें कठिन परीक्षाओं से गुजरना होता है। महिला नागा साधुओं की परीक्षा कई सालों तक है। इस दौरान उन्हें सख्त ब्रह्मचर्य नियमों का पालन करना होता हैं। इसके बाद वो जिंदा रहते हुए ही खुद का पिंडदान करती हैं और सिर भी मुंडवाती हैं। इसके बाद वो महिला पवित्र नदी में स्नान करती हैं। इसके बाद उन्हें महिला नागा साधु का दर्जा दिया जाता है।
कब नजर आती हैं महिला नागा साधु
आपको बता दें कि महिला नागा साधु बहुत दुर्लभ मौकों पर ही नजर आती हैं। महिला नागा साधु घने जंगलों, पहाड़ों, गुफाओं में निवास करती हैं। ये अपना पूरा समय भगवान की भक्ति में ही लगाती हैं। वो जंगल-पहाड़ों से बाहर निकलकर दुनिया के सामने कम ही आती हैं। आमतौर पर महिला नागा साधु केवल कुंभ या महाकुंभ के समय ही नजर आती हैं। इसके बाद वो अचानक से गायब हो जाती हैं।
ऐसे कपड़े पहनती हैं महिला नागा साधु
गौरतलब है कि पुरुष नागा साधु सार्वजनिक तौर पर भी नग्न ही रहते हैं। लेकिन महिला नागा साधु निर्वस्त्र नहीं रहती। ज्यादातर महिला नागा साधु वस्त्रधारी होती हैं और केवल गेरूआ रंग का बिना सिला हुआ वस्त्र पहनती हैं। यह वस्त्र गेरुए रंग का कपड़े का टुकड़ा होता जिसको वो अपने शरीर के कुछ हिस्सों पर लपेटे रहती हैं। महिला नागा साधु अपने सिर पर तिलक भी लगाती हैं और अपने शरीर के कई हिस्सों पर भस्म भी लगाती हैं।