नई दिल्ली: आज के युवक और युवतियां लिव इन रिलेशन में रहते है। जो लोग बाहर जाकर पढाई और जॉब करते है वह वहां जाकर प्यार में पढ जाते है।
जिसके बाद काफी लोग लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगते है। जब दो कपल एक दूसरे के ज्यादा करीब आते है तो बात सेक्स तक पहुंच जाती है। जो एक अपराध है। वहीं इंडोनेशिया सरकार जल्द ही एक नया कानून बनाने जा रही है। जिसके अंतर्गत यदि शादी से पहले किसी ने सेक्स (Sex) किया तो वो अपराध माना जाएगा। न सिर्फ शादी से पहले, बल्कि शादी के बाद भी किसी पराए पुरुष या महिला के साथ सेक्स करने पर पाबंदी रहेगी। नए कानून के मुताबिक केवल पति-पत्नी को ही शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार होगा। जल्द ही इंडोनेशिया सदन इस कानून को मान्यता देने की तैयारी में है।
‘द ड्राफ्ट क्रिमिनल कोड’-
इंडोनेशिया की संसद ‘द ड्राफ्ट क्रिमिनल कोड (RKUHP) पास करने वाली है। नया कानून लागू होने के बाद अगर कोई अविवाहित या फिर शादीशुदा महिला पुरुष इसका उल्लंघन करता है तो उसे एक साल के लिए जेल जाना पड़ सकता है। इसी के साथ उसपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। फिलहाल इंडोनेशिया की सरकार ने इस नए कानून का ड्राफ्ट तैयार किया है। इसे सदन में पेश किया जाएगा और पारित होने पर ये कानून लागू कर दिया जाएगा।
विदेशियों पर भी होगा लागू –
इंडोनेशियाई आम सदन के एक सदस्य बैमबैंग वुर्यांतो ने रॉयटर्स को बताया कि अगले सप्ताह के शुरुआती दिनों में ये कानून पारित कर दिया जाएगा। इंडोनेशिया के डिप्टी जस्टिस मिनिस्टर एडवर्ड उमर शरीफ ने इस बारे में कहा कि ‘हम एक ऐसा क्रिमिनल कोड लाने वाले हैं जो इंडोनेशिया के संस्कारों को मानने वाला है और हमें इसपर गर्व है।’ खास बात ये कि ये कानून इंडोनेशिया में आने वाले विदेशियों पर भी लागू होगा।
इस कानून के दायरे में वो लोग आएंगे जिनके खिलाफ शिकायत की जाएगी। अगर व्यक्ति शादीशुदा है और उसके पार्टनर ने उसकी शिकायत की है तो कार्रवाई होगी। वहीं अविवाहित युवक या युवती के माता पिता द्वारा शिकायत दर्ज कराने पर भी कार्रवाई की जाएगी। अगर कोर्ट ट्रायल शुरू होने से पहले शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत वापस ले ली, तो कोई कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन एक बार कोर्ट में ट्रायल शुरु हो गया तो फिर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि तीन साल पहले भी इंडोनेशिया सरकार इस कानून को लाने वाली थी, लेकिन इसके खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन करने लगे। लोगों ने इसे ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ का हनन करार दिया था और इसने कड़े विरोध को देखते हुए सरकार ने उस समय कदम पीछे ले लिए थे।