रेप पीड़िताओं को अभी भी करना पड़ रहा टू फिंगर टेस्ट का सामना, SC ने केंद्र और राज्यो से कहा- नही हो ऐसा

0
Advertisement

नई दिल्ली: रेप पीड़िताओं को अभी भी टू फिंगर टेस्ट का सामना करना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे पूरी तरह नही रोके जाने पर नाराजगी जताई है।

सोमवार को कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि समाज मे रेप पीड़िताओं की जांच के लिए टू फिंगर टेस्ट की प्रथा अभी भी प्रचलित है। कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि ऐसा नही हो। कोर्ट ने कहा कि टू-फिंगर टेस्ट महिला के सेक्सुअल हिस्ट्री का पता लगाने का वैज्ञानिक आधार नही है। इससे महिला को फिर से आघात पहुंचाता है।

Also Read -   इस जगह मिलती है 1000 रुपये में एक कप चाय, दूर-दूर से लोग आते है इसे पीने, जानें क्या है इसकी ख़ासियत

महिला की गरिमा का उल्लंघन है टू-फिंगर टेस्ट।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और हेमा कोहली की पीठ ने सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट के रेप और हत्या के दोषी को बरी करने के फैसले को पलट दिया और लोअर कोर्ट के आरोपी को दोषी ठहराने के फैसले को बरकरार रखा। पीठ ने कहा कि टू-फिंगर टेस्ट महिला की गरिमा और निजता का उल्लंघन है। इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक दशक पहले आदेश दिया गया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह प्रथा आज भी प्रचलित है। यह नही कहा जा सकता है कि सेक्सुअली एक्टिव महिला का रेप नही किया जा सकता है।

Also Read -   बिना शादी के प्रेग्नेंट हुई साउथ की ये मशहूर एक्ट्रेस, पॉजिटिव रिजल्ट की शेयर की तस्वीरें

नही होनी चाहिए टू-फिंगर टेस्ट की पढ़ाई।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों को निर्देश जारी किए और राज्यों के डीजीपी और स्वास्थ्य सचिवों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि टू-फिंगर टेस्ट नहीं होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति टू-फिंगर टेस्ट कराता है तो उसे कदाचार का दोषी माना जाएगा। कोर्ट ने केंद्र और राज्य के स्वास्थ्य सचिवों को सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के सिलेबस से टू-फिंगर टेस्ट की पढ़ाई हटाने का निर्देश भी दिया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here