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इलाहाबाद हाइकोर्ट का अहम फैसला: बालिगों को जीवनसाथी चुनने का अधिकार

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी गई है। बालिग जोड़े को अपनी मर्जी से साथ रहने का संवैधानिक अधिकार है।

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उनके जीवन में किसी को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे याचियों के खिलाफ बलिया के नरही थाने में दर्ज प्राथमिकी रद कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने आकाश राजभर व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

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रेप पीड़िता का बयान ही सजा का पर्याप्त आधार।

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि रेप पीड़िता का बयान अभियुक्त को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त आधार हो सकता है। पीड़िता के बयान को अन्य साक्ष्यों से सुसंगत साबित करना अनिवार्य नहीं है। कोर्ट ने दुष्कर्म के अभियुक्त की अधिक आयु को सजा माफ करने का आधार मानने से इनकार कर दिया और 43 साल पुराने मामले में 68 वर्षीय अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा पूरी करने के लिए जेल भेजने का निर्देश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने मेरठ के ओमप्रकाश की अपील को खारिज करते हुए दिया ।

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68 साल के अभियुक्त को सजा पूरी करने के लिए जेल भेजने के निर्देश।

ट्रायल कोर्ट ने ओमप्रकाश को छह वर्ष जेल की सजा सुनाई थी । मेरठ के बिनौली थानाक्षेत्र निवासी ओम प्रकाश के खिलाफ पीड़िता के पिता ने चार अक्टूबर 1979 को एफआईआर दर्ज कराई थी कि उसकी 10 वर्षीय पुत्री जंगल में घास काटने गई थी। वहां ओमप्रकाश ने उसके साथ दुष्कर्म किया।