संतकबीर नगर: उत्तर प्रदेश के जिले संतकबीर नगर मे इस बार दिवाली नही मनाई गई। ऐसा इसलिए क्योंकि रविवार की देर शाम बस्ती के मुंडरेवा क्षेत्र के खुजौला के पास हाईवे पर दंपत्ति समेत परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई।
पांचों सदस्य संतकबीर नगर के ढोढ़ई गांव मे परिवार के साथ दीपावली मनाने आ रहे थे। पूरे गांव मे मातम छाया हुआ है। हर किसी की आंखे नम है और सभी अपने-अपने घर के बाहर बैठे है। वहीं गांव की महिलाएं मृतक विनोद के घर के बाहर बैठी हुई है। सड़क दुर्घटना मे इनका पूरा परिवार खत्म हो गया। बीती 16 सितंबर को विनोद के पिता की भी मौत हो गई थी। अब बेटे-बहू, पोता-पोती और पत्नी की भी मौत हो गई और कोई भी अर्थी उठाने वाला भी नही बचा है।
गांव तक नही पहुंचे थे पांचों के शव, दो दिन पहले हुई थी बात।
बस्ती मे विनोद का परिवार समेत कार हादसे में मौत हो गई। जिसके बाद से उसके घर मे रिश्तेदारों का जमावड़ा लगा हुआ है। इस हादसे से सभी सदमे मे है और ग्रामीण विनोद को याद कर रो रहे है। सभी का कहना है कि दो दिन पहले ही बोला था कि इस बार परिवार और गांव के साथ यादगार दिवाली मनाएंगे। लखनऊ से गांव ही आ रहा था पर दुर्घटना ने सब खत्म कर दिया। सभी का कहना है कि हम लोग अब कभी भी इस दर्द को भूल नही पाएंगे। एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत पर गांव का हर एक सदस्य बहुत दुखी है। दरअसल लखनऊ मे जल निगल मे AE के पद पर तैनात विनोद अपनी मां सरस्वती, पत्नी नीलम (34), बेटी श्रेया और बेटे यथार्थ के साथ कार से दीवाली मनाने अपने गांव जा रहे थे। इसी बीच बस्ती मे हुए सड़क हादसे में सभी की मौत हो गई। सबके शवों का पोस्टमॉर्टम बस्ती मे हुआ और अंतिम संस्कार भी यही कर दिया गया। विनोद के रिश्तेदार बस्ती पहुंच चुके थे। शव खराब होने के कारण गांव नही भेजे गए।
ग्रामीणों ने विनोद के घर के बाहर कर दी थी सफाई।
ढोढ़ई गांव के रहने वाले लोग विनोद को बहुत मानते थे। मृतक के पिता की मौत के बाद गांव वाले घर मे कोई नही रहता था। पूरा परिवार लखनऊ मे ही रहता था। गांव के लोगों को पता था कि विनोद आने वाला है इस वजह से उसके घर के बाहर सफाई कर रखी थी। इतना ही नही घर की सजावट का सामान भी ले आए थे। रात मे जलाने के लिए दीये, मोमबत्ती भी लाए थे लेकिन सारी तैयारियां बर्बाद हो गई। जहां यादगार दिवाली मनाने की योजना थी, साथ में खुशियां बांटने की तैयारी थी वहां अब मातम हो गया है। दीपावली का सारा सामान घर के किनारे मे रखा हुआ है। वहीं विनोद के ससुराल पक्ष के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है।
गांव के लोगों ने अपना बड़ा खो दिया, पढ़ने के लिए करते थे प्रेरित।
ग्रामीणों का कहना है कि पिता की मौत को एक महीना भी नहीं हुआ था और अब पूरा परिवार ही खत्म हो गया है। आगे कहते है कि विनोद अच्छे इंसान थे, लखनऊ मे रहने के बाद भी वह गांव के हर सदस्य को याद रखे थे। इतना ही नही हर एक महीने में परिवार के साथ दो बार आते और सबसे मिलते थे। आगे कहते है कि उनके बच्चे भी बहुत प्यारे थे और सबको पहचानते थे। परिवार के सदस्य की तरह सभी को समझते थे। इतना ही नही किसी भी तरह की परेशानी मे वह हमेशा खड़े रहे। लोगों का यहां तक कहना है कि उनकी मौत से इस गांव ने अपना बड़ा भाई खो दिया है। इतना ही नही गांव वालों का यह भी कहना है कि उनको कभी कोई नही भूल सकता। उन्होंने हम लोगों के लिए बहुत किया है। हमेशा आगे बढ़ाने की कोशिश की है। उनके बारे मे जितना बोले उतना कम है और वो सभी से बहुत प्यार करते थे। ससुराल पक्ष की महिलाएं कुछ भी बोल नही पा रही है और उनका रो-रोकर बुरा हाल है।